karva chauth

जानिए कैसे रखते हैं करवा चौथ का व्रत और क्या है इसके पीछे की कहानी।  ( Janiye kaise rakhte hai karva chauth ka vrat , iske piche kya hai kahani )

हम सभी लोगों को पता है कि करवा चौथ ( karva chauth )का व्रत भारतवर्ष में बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है पूरे भारतवर्ष में करवा चौथ का व्रत सभी सुहागन महिलाएं मनाती है जितनी भी सुहागन महिलाएं होती हैं वह अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।

सुबह से लेकर शाम तक उनको यह उपवास बिना कुछ खाए पीए रखना पड़ता है, आज हम आपको बताते हैं कि व्रत करते समय महिलाओं को क्या करना चाहिए।

शाम को करवा चौथ का व्रत रखते समय उन्हें पूजा के समय दो करवा लेना चाहिए, उनमें से एक करवे में पानी भर के रखना चाहिए और दूसरे करवे में गेहूं भर देना चाहिए और सुहागन महिलाओं को किसी दीवार पर या फिर किसी कागज पर चंद्रमा की प्रतिमा के नीचे भगवान शिव और  कार्तिकेय की प्रतिमा बना देना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए।

उन्हीं की प्रतिमा के आगे सभी महिलाओं को अपना दोनों करवा रख देना चाहिए  जितनी भी महिलाएं होती हैं वह सुबह से लेकर शाम तक  अन्न का एक कण अपने मुंह में नही डालती हैं ना कोई पानी ही ग्रहण करती है।

सुबह से लेकर शाम तक वह भूखी-प्यासी रहती हैं  इतनी कठोर तपस्या इन महिलाओं को करनी पड़ती है।

शाम को जब वह चंद्र देवता के दर्शन कर लेती हैं तभी उनका व्रत शाम को खुलता है शाम को सभी महिलाओं को चंद्रमा देवता को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलना चाहिए जबतक चंद्र देवता को दिखाई नहीं देंगे तब तक यह व्रत पूरा नहीं माना जाता।

क्योंकि यह व्रत खास तौर पर चंद्रमा से भी जुड़ा है आज हम आपको बता दें कि इस व्रत को सभी सुहागन महिलाएं करती हैं जब भी कोई स्त्री इस उपवास का प्रारंभ कर देती है तो उसे यह जरुरी नहीं होता कि उसे पूरी जिंदगी ही अपना व्रत निर्जला रहकर ही बताना पड़े।

जब एक बार सुहागन महिलाएं व्रत शुरु कर देती है उसके बाद वह महिलाएं अपनी सुविधानुसार भी इस उपवास को रख सकती हैं जैसे कि फल जल और अन्य चीजें ग्रहण भी कर सकती है।

इस व्रत की  तरह हमारे भारतवर्ष में एक और व्रत है जिसको हम लोग  हरतालिका तीज कहते हैं इसमें भी महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं।

karva chauth
karva chauth

करवा चौथ की कथा ( Karva chauth ki katha )

आज हम आपको बताते हैं करवा चौथ की क्या कथा है हमेशा ही जब भी करवा चौथ रखा जाता है तो शाम के समय पूजा के वक्त उन को करवा चौथ की एक कहानी सुनाई जाती है वही आज प्राचीन कथा हम आप को बताने जा रहे हैं।

पुरानी कथाओं के अनुसार बताया गया है कि एक नगर था उसमें एक साहूकार रहता था जिसके सात लड़के थे और एक लड़की थी कार्तिक महीने में जब कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आई तो साहूकार की पत्नी जो की सुहागन थी उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा शाम के वक्त जब सभी भाई भोजन करने लगे तब उन्होंने अपनी बहन को भी कहा कि आओ तुम भी भोजन कर लो,लेकिन उनकी बहन ने भोजन करने से मना कर दिया, मना करने पर भाइयों ने पूछा तुम भोजन क्यों नहीं कर रही हो तो बहन ने जवाब दिया कि आज मैंने व्रत रखा है और चंद्रमा निकलने के बाद ही मैं अपना व्रत खोलूंगी।

भाई उससे बहुत ज्यादा प्यार करते थे इसलिए उन्हें बहन का मायूस चेहरा  देखा ना गया, भाइयों ने बाहर जाकर एक बहुत ज्यादा बड़ी आग लगाई और अपनी बहन से कहा कि देखो बाहर चंद्रमा निकल गया है तू मायूस ना हो और अपना व्रत खोल लो,बहन जाकर सभी भाभियों से कहती है कि चंद्रमा निकल आया है चलिए सभी व्रत खोल लीजिये।

लेकिन उसकी भाभियों ने उसे अपने भाइयों की सभी युक्ति के बारे में बताया लेकिन बहन ने  उनका विश्वास नहीं किया और बाहर जाकर अपना व्रत खोल लिया,व्रत खोलने के उपरांत ही गणेश भगवान उनसे रूठ गए और नाराज होकर हो गए।

अब जब वो घर आई तो पाया कि उसके पति की तबीयत खराब होगी और उसके घर का सारा धन पति के इलाज में लग गया और वह पूरी तरह से गरीब हो गए तब उनकी बेटी को एहसास हुआ कि हां उसने गलत किया है और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया।

वह अब पश्चाताप करना चाहती थी उसके बाद अगले वर्ष उसने पूरे विधि विधान से पूजा करी और गणेश जी की आराधना भी करी।

इस बार उसकी पूजा में श्रद्धा देखते हुए भगवान गणेश ने उस पर प्रसन्न होते हुए उसके पति को जीवन दान दिया और उसके परिवार में धन संपत्ति पूरी तरह से प्रदान करी।

इस प्रकार श्रद्धा भक्ति से करवा चौथ का व्रत रखने से हमारे घर में संसारिक क्लेश दूर होते हैं धन-संपत्ति आती है और पति की भी दीर्घायु बनी रहती है।

करवा चौथ का उद्यापन कैसे करना चाहिए  ( Karva chauth ka udayapan kaise karna chahiye  )

उसके बारे में जानिए कई लोग कई महिलाएं जो सुहागन होती है वह करवा चौथ का उद्यापन भी करना चाहती हैं वह उनकी इच्छा होती है इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि करवा चौथ व्रत का उद्यापन करने के लिए महिलाओं को क्या करना चाहिए, करवा चौथ का उद्यापन करने के लिए महिलाओं को अपने घर में पूरी और हलवा बनाना चाहिए और पूरियों को थाली में चार चार के ढेर में 13 जगह अलग अलग रख देना चाहिए।

इन पुरी पर हलवा भी रख देना चाहिए और उसके ऊपर साड़ी ब्लाउज और अपनी इच्छा के अनुसार जितने भी रुपया रखना हो वह उसके ऊपर पर रख देना चाहिए और उसके चारों तरफ कुमकुम लगा देना चाहिए और अपनी सासू मां के चरणों से स्पर्श करा कर 13 ब्राह्मणों को भोजन करा कर उनको दान-दक्षिणा देकर विदा करते हैं जिससे कि आपका करवा चौथ का व्रत का उद्यापन हो जाएगा।

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